कान दर्द कर रहा हो तो तुंरत डॉक्टर को दिखाएं, हो सकती है ये गंभीर बीमारी

कान दर्द कर रहा हो तो तुंरत डॉक्टर को दिखाएं, हो सकती है ये गंभीर बीमारी

सेहतराग टीम

हमारे शरीर के सभी अंग जरुरी होते हैं और थकान होने पर या तबियत खराब होने पर शरीर के अंगों में दर्द भी होता है। उन्ही दर्द में कान का दर्द भी आता है, जिसे अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं। क्योंकि जब यह दर्द खत्म हो जाता है तो इसको हम भूल जाते हैं, जो आगे चल कर कई बड़ी समस्या पैदा करता है। इसलिए कान दर्द हो तो डॉक्टर की सलाह जरुर लें, क्योंकि कान हमारे शरीर का अहम हिस्सा है जिसका ठीक रहना बहुत जरुरी है। वहीं आपको बता दें कि कान दर्द होने पर दवा जरुर लें क्योंकि दर्द का कारण सेंसरीन्यूरल रोग भी हो सकता है।

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कान में जब किसी को दर्द या फिर जलन महसूस होती है तो हम अपने या अपने बच्चों को तेल और कान से जुड़ी कई दवाएं डाल देते हैं जिससे कि वो दर्द खत्म हो जाए। लेकिन ऐसा न होने पर हम इसमें लापरवाही करते हैं जबकि इसका कारण सेंसरीन्यूरल होता है। सेंसरीन्यूरल कान से जुड़ा एक रोग हैसेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस (एसएनएचएल) आपके कान या आपके तंत्रिका में संरचनाओं को नुकसान के कारण होता है। जिसकी वजह से आप अपने सुनने की 90 फीसदी क्षमता को खो सकते हैं। इससे अपना बचाव करने के लिए आपको इसके बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है। आइए हम आपको इसके कारण, लक्षण और बचाव के बारे में बताते हैं। 

सेंसरीन्यूरल रोग के कारण

जन्मजात

जन्म के समय जन्मजात सुनाई न देना जन्म से मौजूद है और सबसे आम जन्म असामान्यताओं में से एक है। यह प्रति 1,000 जन्म पर 1 से 3 शिशुओं को प्रभावित करता है। इसका शुरुआती दौर में इलाज कराना असरदार हो सकता है। जन्म के साथ श्रवण हानि के साथ पैदा होने वाले लगभग 50 फीसदी बच्चों का स्रोत आनुवंशिक कारकों से विकसित होता है। 100 से ज्यादा जीनट्रस्टेड सोर्स जेनेटिक हियरिंग लॉस से जुड़े हैं। संक्रमण और ऑक्सीजन की कमी से सभी सुनवाई हानि हो सकती है।  

ज्यादा शोर के कारण

अक्सर लोगों को ज्यादा तेज गाने सुनना या फिर ज्यादा तेज टीवी चला कर बैठे रहने में अच्छा लगता है, जबकि ये आपके लिए काफी नुकसानदायक होता है। इसके साथ ही जो लोग ज्यादा शोर वाली जगह पर रहते हैं उन्हें इस रोग का खतरा ज्यादा रहता है। लगभग 85 डेसीबल से अधिक ध्वनियों के संपर्क में एसएनएचएल हो सकता है। यहां तक कि गनशॉट या विस्फोट जैसी आवाजें भी आपके लिए खतरनाक होती है। 

प्रेस्बिसीसिस

प्रेस्बिसीसिस बढ़ती उम्र से संबंधित सुनवाई हानि का दूसरा नाम है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 65 से 74 उम्र के बीच के लगभग 1 से 3 लोगों में सुनने की शक्ति कम होती है। 75 साल की उम्र तक लगभग आधे लोगों में किसी न किसी प्रकार की सुनवाई हानि होती है। 

बचाव

  • हमेशा अपने मोबाइल या टीवी की आवाज को धीमा करके रखें।
  • अपने हेडफोन की आवाज को करीब 60 प्रतिशत से कम रखें।
  • इयरप्लग को ज्यादा से ज्यादा पहनने की कोशिश करें। 
  • किसी भी दवा को इस्तेमाल करने से पहले संबंधित डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 
  • कान का दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

सेंसरीन्यूरल के कारण

  • बैकग्राउंड शोर होने पर सुनने में परेशानी होना।
  • ध्वनियां काफी कम आती हैं।
  • सुनने के बाद समझ न आना। 
  • कानों में आवाज गुंजना। 
  • शोर के कारण चक्कर आना।
  • काफी ज्यादा ऊंची आवाज सुनने में परेशानी होना।

 

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Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।